जीवन में सत्संग और संतों के सान्निध्य का विशेष महत्व: डा. शंकरानंद सरस्वती

भक्ति योग आश्रम ने मनाया अपना 14वां स्थापना दिवस

एस• के• मित्तल       
सफीदों,         उपमंडल के गांव सरनाखेड़ी स्थित भक्ति योग आश्रम के 14वां स्थापना दिवस शनिवार को धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आश्रम के संचालक डा. शंकरानंद सरस्वती ने की। इस मौके पर साध्वी मोक्षिता का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। इस अवसर पर पूजन और हवन किया गया। भजन एवं सत्संग के उपरांत भंडारे का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राजू वर्मा ने अपने साथियों के साथ शानदार भजन प्रस्तुत करके सभी को निहाल कर दिया।
वहीं साध्वी मोक्षिता ने अपने भजनों के माध्यम से भगवान और गुरू की महिमा का गुणगान किया। अपने संबोधन में डा. शंकरानंद सरस्वती ने कहा कि जीवन में सत्संग और संतों के सान्निध्य का विशेष महत्व है। संसार में हमने जो भी कुछ हासिल किया है, वह भगवान की कृपा का प्रतिफल है। मनुष्य जीवन परमात्मा का सबसे बड़ा उपहार है। इसका सदुपयोग नहीं करना भी अपराध और पाप की श्रेणी में आता है। स्वामी डा. शंकरानंद सरस्वती ने कहा कि योग, आयुर्वेद एवं आध्यात्मिकता के क्षेत्र में भक्ति योग आश्रम का पिछले काफी वर्षों से अहम योगदान है। यह आश्रम लोगों को भक्ति के साथ-साथ योग का भी मार्ग दिखा रहा है।
एक दिन यह आश्रम भक्ति एवं योग के क्षेत्र के क्षेत्र में पूरे भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में विशेष मुकाम हासिल करेगा। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि जो भी योग, आयुर्वेद एवं आध्यात्म का लाभ प्राप्त करना चाहता है वह नि:संकोच आश्रम द्वारा प्रदत सेवाओं का लाभ प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि अब आश्रम में प्राकृतिक चिकित्सा के साधनों को आधुनिक उपकरणों के साथ और अधिक अपग्रेड किया गया है। जिससे रोगियों को पंचकर्म व भाप स्नान का लाभ भी मिल सकेगा।

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