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एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि 12 व्रत धारण करना श्रावक का धर्म है। साधू नहीं बन सकते तो घर में रहकर भी धर्म का रास्ता अपनाया जा सकता है। जीवन में सीधे रास्ते पर चलने से कोई दिक्कत नहीं आएगी लेकिन उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलना कष्टदायक हो सकता है। अगर पाप करोगे तो हिंसा होना निश्चित है। अपने आप को पाप व हिंसा से बचाने के लिए त्याग का पचखान लेना बहुत जरूरी है।
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि 12 व्रत धारण करना श्रावक का धर्म है। साधू नहीं बन सकते तो घर में रहकर भी धर्म का रास्ता अपनाया जा सकता है। जीवन में सीधे रास्ते पर चलने से कोई दिक्कत नहीं आएगी लेकिन उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलना कष्टदायक हो सकता है। अगर पाप करोगे तो हिंसा होना निश्चित है। अपने आप को पाप व हिंसा से बचाने के लिए त्याग का पचखान लेना बहुत जरूरी है।
श्रावक नियम लेने के बाद निश्चित हो जाता है और वह धर्म-ध्यान करने के लिए समय जरूर निकालता है। जीवन में विवेकपूर्ण क्रिया करने का नाम ही धर्म है। अगर दिल में दया का भाव है तो पाप होगा ही नहीं। श्रावक के व्रत अपने आप को सीमित करने का नाम है। 2 कर्म और 3 योग से पाप को कम किया जा सकता है। श्रावक के बारह व्रतों को अनुव्रत भी कहते हैं। अगर मनुष्य पाप से बचेगा तो ही वह धर्म के रास्ते पर चलेगा। उन्होंने कहा कि साधू बनने के लिए माता-पिता की आज्ञा की जरूरत होती है लेकिन श्रावक बनने के लिए किसी की आज्ञा की जरूरत नहीं होती। मनुष्य को जीवन में अहिंसा का व्रत जरूर लेना चाहिए।
अंहिसा अनुव्रत का अर्थ है कि बेवजह हिंसा नहीं करना और जीवों के प्रति करूणा और दया का भाव रखना। सत्य ही भगवान है और सत्य से बढ़कर कोई भगवान नहीं है। जीवन में छल-फरेब व धोखाधड़ी नहीं करनी चाहिए और सरलता व सौम्यता का भाव अपनाना चाहिए। जहां पर सत्यता नहीं होगी वहां पर धर्म भी नहीं टिकेगा। सत्य के माध्यम से ही हमारे अंतर्मन में धर्म का वाश हो सकता है। दया और दान धर्म को बढ़ाने वाले होते हैं और क्षमा का भाव धर्म को स्थाई रूप देता है।
एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि 12 व्रत धारण करना श्रावक का धर्म है। साधू नहीं बन सकते तो घर में रहकर भी धर्म का रास्ता अपनाया जा सकता है
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि 12 व्रत धारण करना श्रावक का धर्म है। साधू नहीं बन सकते तो घर में रहकर भी धर्म का रास्ता अपनाया जा सकता है
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