एस• के• मित्तल
सफीदों, आगामी 28 अक्तुबर को होने वाले चंद्र ग्रहण पर नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन श्री नागक्षेत्र सरोवर पर विशाल हवन-यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए आस्था ज्योतिष केंद्र के अध्यक्ष आचार्य संजीव गौतम ने बताया कि यह हवन आगामी 28 अक्टूबर की शरद पूर्णिमा की चंद्रग्रहण काल रात 1 बजकर 05 मिनट से 2 बजकर 22 मिनट तक किया जाएगा। इस अनुष्ठान में विद्वान ब्राह्मण वैदिक मंत्रोचारण के बीच श्रद्धालुओं की आहुतियां डलवाएंगे। संजीव गौत्तम ने बताया कि चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सांय 4 बजकर 05 मिनट से सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा।
इस मौके पर नागक्षेत्र तीर्थ के पुजारी यतिंद्र कौशिक व आस्था विवाह बंधन के अध्यक्ष अमित भार्गव विशेष रूप से मौजूद थे। इस दौरान लोगों को चाहिए कि वे सूतक से पूर्व अपने घर की खाद्य सामग्री में कुषा अवश्य रखें। अगर कोई ताबीज या अन्य कोई यंत्र पहना हुआ है तो उसे आटे के बर्तन में आटे के अंदर रख दें ताकि वह खराब ना हो। चंद्रग्रहण के उपरांत गंगाजल में धोकर उसे पुन: धारण करें। महर्षि वेदव्यास जी के अनुसार चंद्र ग्रहण में किए गए जप, तप, ध्यान, हवन व दान समेत अन्य पुण्य कार्य एक लाख गुना फलदाई होते है। अगर ये पुण्य कार्य किसी तीर्थ पर किए जाए तो उनका एक करोड़ गुना फल प्राप्त होता है। अगर किसी तीर्थ स्थान पर जाने में असमर्थ है तो ग्रहण काल में घर बैठे गुरु मंत्र, ईष्ट मंत्र या भगवान के नाम जप अवश्य करें। ग्रहण काल में इस्तेमाल किया गया आसन, माला, गोमुखी एवं वस्त्रों को ग्रहण के उपरांत अवश्य धो लें।
उन्होंने बताया कि ग्रहणकाल के दौरान मनुष्य को कुछ कार्य नहीं करने चाहिए। ग्रहण काल में सोने से व्यक्ति रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीडा विष्ठाका, स्त्री प्रसंग करने से सूअर, उबटन या अन्य सौंदर्य प्रसाधन लगाने से कौड़ी बनता है। इसके अलावा ग्रहण काल में भोजन करने वाले व्यक्ति ने जितने अन्न के दाने खाता है उसे उतने वर्ष तक अरूत्तुद नामक नरक में निवास करता है।
उन्होंने बताया कि संपूर्ण भारत सहित बेल्जियम, ग्रीस, इटली, म्यांमार, स्पेन, यूके, दक्षिणी अफ्रीका, फ्रांस, नाइजीरिया, जापान, चीन व रूप में यह चंद्र ग्रहण दृष्टिगोचर होगा। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे इस चंद्र ग्रहण पर सफीदों के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर तट पर होने वाले हवन यज्ञ अनुष्ठान में भाग लेकर पुण्य के भागी बने।