रोहतक की LPS बोसार्ड कंपनी में काम करते हुए कर्मचारी।
चंद्रयान-3 ने बुधवार को चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। इस कामयाबी में हरियाणा का भी योगदान रहा। चंद्रयान-3 के स्पेयर पार्ट रोहतक में बने थे। रोहतक की LPS बोसार्ड में बने अहम कलपुर्जों की मदद से चंद्रयान चांद तक पहुंचा। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को रोहतक से 60 लाख फास्टनर्स (विभिन्न प्रकार के नट बोल्ट) भेजे गए थे।
ISRO का चंद्रयान-3 चांद पर पहुंच चुका है। जिसको लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। वहीं चंद्रयान-3 की सफल लॉचिंग के साथ सफल लैंडिंग से रोहतक का नाम भी और ऊंचा हो गया। इसकी वजह चंद्रयान में लगे रोहतक के कलपुर्जे हैं। चंद्रयान की चांद पर सुरक्षित लैंडिंग को लेकर ये कलपुर्जे खास तौर पर तैयार किए गए थे।
यहां बने कलपुर्जे हल्के होने के साथ मजबूत भी
इन कलपुर्जों को ऐसी तकनीक से तैयार किया गया है कि ये जितने मजबूत हैं, उतने ही हल्के भी हैं। ये भारी-भरकम रॉकेट को अंतरिक्ष में लेने के बाद खुद चंद्रयान-3 से एक के बाद एक तीन स्तरों पर अलग होते गए। इनकी मदद से बुधवार को चंद्रयान 3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करके इतिहास रच दिया है।
LPS बोसार्ड कंपनी में काम करते हुए कर्मचारी।
एक एमएम के 60 लाख नट से तैयार हुआ था लॉन्चर
चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक ले जाने के लिए ISRO ने विशेष लॉन्चर तैयार किया। इसे हल्का व मजबूत बनाने पर खास ध्यान दिया गया। इसके चलते बड़े व भारी नटों के बजाय एक एमएम वाले 60 लाख कलपुर्जे प्रयोग किए गए थे। यह छोटे नट न केवल हल्के हैं, बल्कि बेहद मजबूत भी हैं। इसी से पूरा सिस्टम तैयार किया।
सितंबर में उपलब्ध करवा दिए थे कलपुर्जे
LPS बोसार्ड के MD राजेश जैन ने कहा कि चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग भारत के लिए बहुत बड़ी सफलता है। इंडिया के साथ हम अपनी भी बड़ी सफलता मानते हैं। इससे भविष्य के प्रोजेक्ट गति पकड़ेंगे, जिसमें भागेदारी का मौका मिलेगा। चंद्रयान के लिए कई दिनों से पूजा कर रहे हैं। पिछले साल सितंबर में ही कलपुर्जे उपलब्ध करवा दिए थे।