घोटालों की सिटी बना मुख्यमंत्री का शहर: फर्जी 966 BPL कार्ड से लाखों का गोलमाल, 30 डिपो धारकों पर गीर सकती है गाज, अधिकारी जांच तक सीमित

 

भाजपा सीनयर डिप्टी मेयर के डिपो होल्डर भाई द्वारा फर्जी वाड़े का मामला अभी थामा नहीं है कि CM सिटी में फर्जी BPL कार्ड बनाकर सरकारी राशन हड़पने का बड़ा खुलासा हुआ है। नगर निगम के SC, पूर्व तहसीलदार राजबख्श, DTP विक्रम, HSVP का जेई और सीनियर डिप्टी मेयर के भाई पर फर्जीवाड़े से CM सिटी को घोटाले की सिटी भी कहा जाने लगा है। नए मामले में जिला खाद्य नागरिक आपूर्ति एव उपभोक्ता मामले विभाग में अधिकारियों ने डिपो होल्डर के संग मिलीभगत कर करीब 966 फर्जी BPL कार्ड बना डाले। लाखों रुपए का राशन घोटाला सामने आने पर DFSC ने जांच कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

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खास बात यह है कि पारदर्शिता का दावा करने वाले जनप्रतिनिधियों सहित सरकार का कोई नुमाइंदा अभी तक खुलकर सामने नहीं आया है। सिटी के सरकारी विभागों में घोटालों की बढ़ती लिस्ट का परिणाम है कि बीते रविवार को प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री यहां चंद मिनट मीडिया कर्मियों को देने की बजाए पिछले दरवाजे से निकल गए। हालात जैसे भी हों लेकिन प्रदेश सरकार की पारदर्शिता पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष का कहना है कि बिना राजनीतिक शह के एक रुपये का फर्जी वाड़ा संभव नहीं है। फिर CM सिटी में पांच माह से रोजाना कोई न कोई बड़े घोटाले का खुलासा कई सवाल खड़े करता है।

विभाग में फर्जी BPL कार्ड बनाने का ये कोई पहला मामला नहीं

ऐसा नहीं है कि विभाग में फर्जी BPL कार्ड बनाने का ये कोई पहला मामला है, इससे पहले भी 100 से अधिक फर्जी BPL कार्ड पकड़े जा चुके है। इन फर्जी BPL कार्ड बनाने वाले डिपो होल्डर सहित विभाग के इंस्पेक्टर के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हो चुके है। आरोपी इंस्पेक्टर व डिपो होल्डर जेल की हवा खा रहे है, बावजूद फर्जी BPL कार्ड बनाने का खेल एसे ही जारी है।

करोड़ों रुपए का राशन घोटाला.. अधिकारी क्यों नहीं रखते निगरानी

​​​​​​​अब सवाल यह उठते है कि CM सिटी होते हुए भी पिछले कई सालों में करोड़ों रुपए का यहां पर राशन घोटाले हो चुके है। घोटालों को लेकर खुलासे तो होते है। लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं। अधिकारी हर बार यह कह कर टाल देते है कि उनके द्वारा कमेटी गठित की गई है जो जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट जब तक आती है। मामला ठंडा हो जाता है और जांच भी कागजों तक सीमित रह जाती है। अगर इन घोटालों को रोकना है तो अधिकारियों को निगरानी रखनी होगी। तब इस गरीब के राशन को हड़पने से बचाया जा सकता है।

फर्जी BPL कार्ड पकड़े जाने पर.. कैसे जारी रहता है राशन

​​​​​​​बता दे कि जिन भी डिपो होल्डरों पर फर्जी BPL कार्ड पाए जाते है। विभाग की तरफ से उन डिपो धारको की सप्लाई सस्पेंड कर दी जाती है। उसके बाद उस डिपो का राशन दूसरे डिपो पर भेज दी जाती है। उसके बाद भी उन फर्जी BPL का राशन बंद नहीं किया जाता।

सीनियर डिप्टी मेयर के डिपो होल्डर भाई की जांच ठंडे बस्ते में

बता दे कि बीते दिनों सेक्टर 32, 33 थाना में सीनियर डिप्टी मेयर के डिपो होल्डर भाई भारत भूषण पर DFS विभाग द्वारा एक शिकायत की जांच के बाद 44 फर्जी BPL कार्ड बनाने का मामला दर्ज करवाया था। मामला दर्ज करने के बाद पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। लेकिन अब तक जांच में क्या सामने आया है इसकी जानकारी लोगों के सामने नहीं आई है। वहीं इन घोटालों के मामलों को विपक्ष लगातार उठा रहा है। लेकिन सत्ताधारी नेताओं की तरफ से इन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

30 डिपो पर 966 फर्जी BPL कार्ड

​​​​​​​जानकारी के अनुसार मुख्यालय के और से जारी निर्देशों के अनुसार विभाग की और से PPP में दर्ज आय और नाम के आधार पर राशन लेने वाले उपभोक्ताओं को चयनित कर ऑनलाइन ही डाटा का मिलान किया गया। ऑनलाइन डाटा के आधार पर जिले भर के करीब 30 डिपो होल्डरों पर 966 फर्जी BPL राशन कार्ड बने होने की बात सामने आई है। ऐसे में अब इन 30 डिपो धारकों पर गाज गिर सकती है।

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​​​​​​​कमेटी कर रही जांच

करनाल DFC कुशल पाल बुरा ने बताया कि गत दिनों पहले विभाग की और से परिवार पहचान-पत्र में दी आय के आधार पर संबंधित नामों की सूची उनको सौंपी गई थी। विभाग के आदेशानुसार जिले के सभी खंडों में उनके द्वारा PPP में दर्ज आय और नाम के आधार पर मिलान किया गया। जिसमें 966 फर्जी BPL कार्ड 30 डिपो पर पाए गए है। इन BPL कार्ड धारकों की संख्या कम या ज्यादा भी हो सकती है। इनकी जांच करने के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। जो इनकी जांच कर रही है। जैसे ही कमेटी के जांच रिपोर्ट आती है। उसकी सही रिपोर्ट मुख्यालय में भेज दी जाएगी।

 

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