जींद, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. सुरेंद्र मलिक ने कहा कि पिछले कईं दिनों से हरियाणा में मौसम में लगातार ठंड व नमी बनी हुई है और बीच-बीच में वर्षा के कारण मौसम लगातार गेहूं में लगने वाली पीले रतुए की बीमारी के अनुकूल बना हुआ है। यदि तापमान 2 डिग्री से 15 डिग्री के बीच बना रहे और नमी 80 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक बनी रहे, तो इस बीमारी के आने की संभावना बहुत अधिक हो जाती है। यह बीमारी पहले पहाड़ी क्षेत्रों में आती है और फिर हवा के साथ निचले इलाकों में यमुनानगर और आस-पास के क्षेत्रों में आने की संभावना रहती है। उन्होंने किसानों से अनुरोध करते हुए कहा कि सभी किसान इस बीमारी के प्रति सतर्क रहें और यदि गेहूं की फसल में पत्तियों पर छारियों के समानांतर पीले या नारंगी धब्बे एक लाईन में व्यवस्थित दिखाई देते है और गंभीर अवस्था में यह धब्बे पीले रंग के हल्दीनुमा पाउडर में बदल जाते हैं, छूने पर हाथों पर पीला रंग लग जाता है। शुरू में यह बीमारी खेतों में टुकड़ों में आती है और अंतिम अवस्था में पत्तियां काली हो जाती है।
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उन्होंने कहा कि इस बीमारी के नियंत्रण के लिए जिसे फफूंदनाशक दवाई का छिडक़ाव के लिए 200 मिली लिटर प्रोपीकोनोजोल 25 प्रतिशत दवाई को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिडक़ाव करें या 200 मिली लिटर टेबुकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी दवाई को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिडक़ाव करें। यह बीमारी खेत में आमतौर पर पापुलर या सफेदे के पेड़ के आसपास पहले आती है। उन्होंने कहा कि इस छिडक़ाव को 15 दिनों बाद पुन: करें और मौसम साफ होने पर ही छिडक़ाव करें। यदि इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो अपने नजदीकी खंड कृषि अधिकारी को अवश्य बताएं।