गुरुग्राम में 36, मानेसर में 26 वार्डों में चुनाव: परिवार पहचान पत्र और इलेक्शन डेटा के अनुसार निगम की वार्डबंदी का ड्राफ्ट तैयार

हरियाणा के गुरुग्राम और मानेसर में लंबे समय से चली आ रही नगर निगम चुनाव की अटकलों पर अब विराम लगना शुरू हो गया है। गुड़गांव में 36 और मानेसर नगर निगम में 20 वार्डों पर चुनाव होगा। यह वार्डबंदी परिवार पहचान पत्र के आधार पर की गई है।

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जिन स्थानों पर लोगों ने परिवार पहचान पत्र नहीं बनवाए हैं, उन स्थानों पर इलेक्शन आईडी के आधार पर वार्डबंदी की जा रही है। एडहॉक कमेटी की बैठक में वार्डबंदी का खाका तैयार कर आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। इस आपत्तियों पर सुनवाई करने के बाद इस प्रस्ताव को सरकार के पास भेजा जाएगा।

डीसी ने कहा कि आपत्तियों पर सुनवाई करने के बाद इस प्रस्ताव को सरकार के पास भेजा जाएगा।

डीसी ने कहा कि आपत्तियों पर सुनवाई करने के बाद इस प्रस्ताव को सरकार के पास भेजा जाएगा।

एडहॉक कमेटी की मीटिंग में सदस्यों ने जताया एतराज
डीसी निशांत कुमार यादव ने वार्डबंदी को लेकर गठित एडहॉक कमेटी की अध्यक्षता करते हुए बताया कि पूर्व में पीपीपी के आधार पर तैयार किए गए वार्डबंदी के ड्राफ्ट पर कमेटी के सदस्यों ने एतराज जताते हुए कहा था कि दोनों निगमों में बहुत से वार्ड ऐसे हैं जहां जनसंख्या तो ज्यादा है लेकिन परिवार पहचान पत्र की संख्या कम है।

ऐसे में जिला प्रशासन ने सरकार द्वारा एमसी एक्ट में बदलाव के लिए लाए गए अध्यादेश के तहत दोनों नगर निगम में परिवार पहचान पत्र व इलेक्शन डेटा के आधार पर वार्डबंदी का खाका तैयार किया है।

हर वार्ड में 32 से 48 हजार जनसंख्या
कमेटी के सदस्यों को वार्डबंदी के दौरान अपनाई गई प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि प्रत्येक वार्ड में पीपीपी व इलेक्शन डेटा का आकलन करते हुए जिस वार्ड में पीपीपी की संख्या ज्यादा है वहाँ पीपीपी को जनसंख्या का आधार माना गया है। वही इलेक्शन डेटा में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ यदि वह संख्या पीपीपी से ज्यादा होती है तो वहां इलेक्शन डेटा को वार्डबंदी का आधार बनाया गया है।

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डीसी ने कहा कि गुरुग्राम नगर निगम की वार्डबंदी में प्रत्येक वार्ड में 40 हजार की जनसंख्या को एवरेज संख्या माना गया है। जिसमें 20 प्रतिशत के उतार चढ़ाव के साथ यह संख्या कम से कम 32 हजार व अधिकतम 48 हजार के करीब रहेगी।

PPP और इलेक्शन कार्ड पर वार्डबंदी का यह फॉर्मूला
डीसी निशांत कुमार यादव ने वार्डबंदी की प्रक्रिया का सरलीकरण कर उदाहरण देते हुए बताया कि यदि किसी वार्ड में पीपीपी की संख्या 150 है और इलेक्शन डेटा के तहत वोटर 100 है तो उस वार्ड में वार्डबंदी के लिए पीपीपी यानी परिवार पहचान पत्र को आधार बनाया गया है। वहीं किसी वार्ड में पीपीपी की संख्या 110 है और वोटर की संख्या 100 है जोकि 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 140 होती है तो इस वार्ड में वार्डबंदी का आधार इलेक्शन डेटा को माना जाएगा।

DC बोले- अगले हफ्ते फाइनल बैठक बुलाएंगे
डीसी ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि वार्डबंदी को लिए जो भी मानक अपनाए जाए उसमे ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रतिनिधित्व मिले। डीसी ने कहा कि कमेटी के सभी सदस्यों को बैठक के उपरांत वार्डबंदी का नक्शा उपलब्ध कराया जाएगा। जिसके आधार पर वे अगले तीन तीनों के भीतर सुझाव अथवा एतराज कमेटी के पास भेज सकते हैं।

सदस्यों से सहमति मिलने के उपरांत अगले सप्ताह कमेटी की फाइनल बैठक बुलाई जाएगी। जिसमें सभी सदस्यों से फाइनल ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर सहमति लेकर ड्राफ्ट को सरकार के पास भेजा जाएगा।

 

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