गांव रत्ताखेड़ा में जोहड़ का गंदा पानी गलियों व घरों में घुसा

 

बीमारी फैलने का खतरा हुआ पैदा, ग्रामीणों का जीना मुहाल

निकासी के लिए लगाए गए पंप बने सफेद हाथी

 

एस• के • मित्तल 

सफीदों,        उपमंडल सफीदों के गांव रत्ताखेड़ा में जोहड़ का गंदा पानी गलियों व घरों में घुस गया है। इस भंयकर समस्या के कारण गांव में बीमारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है तथा ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है। इस समस्या को लेकर ग्रामीण अधिकारियों के दरवाजों पर चक्कर काट चुके हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।

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इस समस्या को लेकर ग्रामीणों प्रशासन के प्रति आक्रोश में है तथा उनका गुस्सा किसी भी वक्त फूट सकता है। ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन की लापरवाही के कारण उनकी जिंदगी तबाह हो गई है। गांव के दक्षिण व पूर्व में दो तालाब हैं। इन तालाबों की निकासी ड्रेन में दी हुई है। निकासी के लिए इन जोहड़ों पर पंप भी लगाए गए है लेकिन ये पंप काम नहीं कर रहे। इन पंपों पर लगाई गई मोटर पिछले काफी लंबे समय से खराब पड़ी है। एक ग्रामीण ने बताया कि मार्च महीने में यह पंप की मोटर खराब हुई थी लेकिन आजतक इस मोटर को दुरूस्त नहीं किया गया है। मोटर ना चलने के कारण तालाब के फालतू पानी की निकासी ड्रेन में नहीं हो पा रही है। निकासी के लिए लगाए गए पंप सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। वहीं अन्य ग्रामीण नरेश कुमार ने बताया कि दोनों तालाबों का काफी बड़ा रकबा था। तालाब के साथ लगती जगहों को लोगों का कब्जा लिया है।

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तालाब का रकबा निरंतर घटने के कारण ओफरफलो पानी तालाब में समा नहीं पा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि गांव में काफी संबर्सीबल पंप लगे हुए है तथा वे निरंतर चलते रहते हैं। पानी के अधिक मात्रा में दोहन के कारण गांव का फालतू पानी तालाओं में पहुंच रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब का ओवरफलो पानी गांव की गलियों व घरों में घुस गया है। गलियों में भरे इस गंदे पानी की वजह से वे अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। बहुत जरूरी होने पर ही वे घरों से निकलते हैं। गंदे पानी के कारण गांव की गलियों में बदबू फैल गई है तथा किसी गंभीर बीमारी के फैलने का अंदेशा बन गया है। बारिश के कारण स्थिति ओर अधिक गंभीर हो गई है। उन्होंने बताया कि वे गंदे पानी की समस्या से पिछले कई वर्षों से जूझ रहे हैं

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और समस्या को लेकर वे बार-बार प्रशासन के दरबार में नाक रगड़ चुके हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। ग्रामीणों ने साफ किया कि अगर शासन और प्रशासन ने उन्हे नारकीय जिंदगी से जल्द मुक्ति नहीं दिलाई तो वे आंदोलनरत्त होने को मजबूर होंगे।

 

 

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