काबुल से सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां भारत लाने वाले शेर सिंह राणा से खास बातचीत

आखिरी सांस तक करूंगा महापुरूषों को मान-सम्मान दिलाने का प्रयास: शेर सिंह राणा

एस• के• मित्तल   
सफीदों,        आखिरी सांस तक भारतीय महापुरूषों को मान-सम्मान दिलाने का प्रयास करूंगा। यह बात काबुल से सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां भारत लाने वाले एवं राष्ट्रीय जनलोक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेर सिंह राणा ने कही। वे नगर के धर्मगढ़-बोहली रोड़ पर व्यापारी विपिन मित्तल के प्रतिष्ठान पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। विपिन मित्तल ने शेर सिंह राणा का पहुंचने पर जोरदार अभिनंदन किया।
इस मौके पर संगठन के राष्ट्रीय महासचिव युधिष्ठिर, व्यापार सैल के प्रदेशाध्यक्ष रमेश गुप्ता, अश्वनी गुप्ता व रोहित गर्ग मडलौड़ा विशेष रूप से मौजूद थे। शेर सिंह राणा ने बताया कि वे एक मामले में वे तिहाड़ जेल में बंद थे। वहां पर उन्हें पता चला कि अफगानिस्तान में अंतिम भारतीय सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधि बनी हुई है। वहां पर उस समाधि का घोर अपमान हो रहा है। इस बात का पता चलने पर उनका मन काफी विचलित हुआ और उन्होंने मन में ठाना कि वे पृथ्वीराज चौहान की समाधि की मिट्टी एवं उनकी अस्थियां हिंदुस्तान में लेकर आएंगे। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उसने तिहाड़ में प्लानिंग बनाई और वर्ष 2004 में तिहाड़ जेल से किसी तरह फरार हो गया। वह बांग्लादेश व दुबई होते हुए किसी तरह से अफगानिस्तान पहुंचा। वहां पर किसी ने बताया कि कंधार के पास सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधि है लेकिन काफी खोजबीन के बाद भी उसके हाथ कुछ नहीं लगा। उसके बाद समाधि की अनेक स्थानों पर तलाश की लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर किसी ने बताया कि उनकी समाधि गजनीक देयक काबुल में है और मोहम्मद गौरी की कब्र के पैरों की तरफ बनी हुई है।
जब वह वहां पर पहुंचा तो पाया कि समाधि बुरी अवस्था में है तथा लोग उनका अपमान कर रहे हैं। वहां की पुलिस ने उसे पकड़ लिया लेकिन काफी कोशिशों के बाद वह छुट गए और फिर से गजनीक देयक पहुंचा और समाधि की खुदाई करने में सफलता हासिल की। वहां से सम्राट पृथ्वीराज चौहान समाधि की खुदाई करके वहां से प्राप्त की गई मिट्टी व अस्थियां लेकर भारत आए तथा कुछ धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों को वह मिट्टी व अस्थियां सौंप दी। पृथ्वीराज चौहान की समाधिक की मिट्टी को कोलकाता स्थित गंगा में प्रवाहित कर दिया गया और उस अस्थियों को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में एक स्मारक का निर्माण करवाकर उसमें रखवाया गया। इस कार्य को संपन्न करने के उपरांत स्वयं को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया। वहां पर 13 साल वहां पर रहकर उसने तिहाड़ से काबुल-कंधार तक एक किताब लिखी। जिस पर बहुत जल्द एक फिल्म का निर्माण हो रहा है, जोकि अपने आप में एक अनूठी होगी। उन्होंने कहा कि वे भारत के महान महापुरुषों को मान-सम्मान दिलाने के लिए अंतिम सांस तक जी तोड़ मेहनत करेंगे। उन्होंने बताया कि उन्हें पता चला कि भारत के आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर जोकि एक फ्रीडम फाइटर भी थे उनकी समाधि मयम्मार में बनी हुई है। इसके लिए वे मयम्मार (बर्मा) पहुंचे।
उन्होंने वहां पर जाकर देखा कि उनकी समाधि पूरी तरह से मान-सम्मान के साथ स्थापित है तथा वहां के लोग समाधि की पूरी इज्जत करते है। जिसके बाद उन्होंने इस समाधि की मिट्टी भारत लाने का फैसला त्याग दिया क्योंकि उनका मकसद महापुरुषों को मान सम्मान दिलाना है। अब वे जापान के अंदर स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की समाधि की मिट्टी को भी भारत लाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से मांग की कि भारत छोडऩे के दौरान वे यहां से ले गए कोहिनूर हीरे को भी इस देश को वापिस लौटाएं। जबकि अब तो भारतीय मूल के ऋषि सुनक वहां के प्रधानमंत्री बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी राजनीति के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। राजनीतिक व सामाजिक कार्यों को देखते हुए लोग उनके साथ जुड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी का हरियाणा में इनैलों के साथ गठबंधन है और आदमपुर उपचुनाव में इनैलो प्रत्याशी भारी मतों से जीतेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *