करनाल में युवा बेटियों की पहल: संस्था बना दे रही जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा, 8 साल से बांटा जा रहा ज्ञान

 

 

हरियाणा के करनाल में ये वो नन्हें हाथ जो आज स्कूली कॉपी पर पेंसिल से लिखते हुए नजर आ रहे हैं, कल किसी ऑफिस में बैठे हुए किसी फाइल पर साइन करते हुए नजर आएंगे, ऐसा सपना मन मे लेकर कुछ जरूरतमंद बच्चों का सपना पूरा करने के लिए करनाल की बेटियों द्वारा एक मुहिम पिछले 8 सालों से चलाई जा रही है। ये बेटियां पुकार वक्त संस्था द्वारा पिछले 8 साल से सेक्टर-13 में उन जरूरतमंद बच्चों को फ्री में शिक्षा दे रही है।

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जिन बच्चों के अभिभावकों के पास स्कूल फीस या फिर स्कूल की कोई महंगी किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं होते। ये बेटियां इस संस्था के द्वारा बच्चों की सब तरह की जरूरतों को पूरा कर रही है। यह संस्थान पढ़ने लिखने से लेकर बैठने उठने और बात करने के तरीके बच्चो को शिखा रही है। ताकि यहां पढ़ने पहुंच रहे बच्चों को किसी भी तरह से अपने आप को किसी के कम न समझें।

संस्था में पढ़ते बच्चें।

संस्था में पढ़ते बच्चें।

करनाल की रहने वाली युवा पीढ़ी की बेटियों की यह मुहिम पुकार वक्त नाम की संस्था बनाकर जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा का बांटने का काम रही है। यहां पर जरूरतमंद बच्चों क, फ्री शिक्षा मिलने से बच्चों के होंसले हुए बुलंद होते जा रहे है। यहां पर कई बेटियां 4-5 किलोमीटर दूर का सफर तय करके रोजाना पढ़ने आती है और यहां पर पढ़ रहे बच्चे पढ़ लिखकर कोई टीचर, कोई डॉक्टर, कोई वैज्ञानिक तो कोई पुलिस का बड़ा अधिकारी बनकर देश सेवा करना चाहते है। उनके इस सपने को पूरा करने के लिए ये युवा बेटियां इन बच्चों की राह को आसान बना रही है।

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संस्था फांउडर डॉ. कृति।

संस्था फांउडर डॉ. कृति।

एक हस्ताक्षर ने बदल दी पूरी जिंदगी: डॉ. कृति

पुकार वक्त संस्था की फाउंडर सदस्य डॉ. कृति ने बताया कि उनके घर पर एक लड़की आती थी, मेरी मां ने कहा कि लड़की को पढ़ाना है। मां की बात मानकर मैंने लड़की को हस्ताक्षर करना सिखाया, जब उस लड़की की शादी हुई ओर शादी के बाद बिहार पहुंची तो वहां पर उसे अंगूठा लगाने केा कहा गया, लेकिन लड़की ने हस्ताक्षर किए। उसके द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद उसे वहां पर काफी मान सम्मान मिला।जब ये बात मुझे पता चली तो मैंने सोचा कि जब एक हस्ताक्षर जीवन में इतना परिवर्तन ला सकता हैं तो क्यों नहीं सभी जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाया जाए।

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उसके बाद हमारा जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया, जो लगातार आगे बढ़ रहा है। आज बहुत से माता पिता भी संस्था के पास सिफारिश करते है कि उन्हें भी पढ़ाई के बारे में बेसिक ज्ञान उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा जरूरतमंद बच्चे जो स्कूल नहीं जा पाते या खर्च वहन नहीं कर पाते। उसका खर्च संस्था द्वारा उठाया जाता है, यहीं नहीं डॉक्टर होने के नाते जो भी राहत उपलब्ध करवा सकते है, वो करवाई जाती है। उनका उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को एजुकेशन उपलब्ध करवाई जाए।

छात्र आदित्य।

छात्र आदित्य।

पेश है संस्था मे पढ़ने वाले कुछ बच्चों से बातचीत

पिछले 5 साल से कर रहा यहां पढ़ाई: आदित्य

सेक्टर 13 निवासी आदित्य ने बताया कि पुकार वक्त की संस्था में पढ़ते हुए 5 साल हो चुके हैं, यहां पर नि:शुल्क पढ़ाई करवाई जा रही है। उन्हें जो चीज समझ में नहीं आती, उसे आसानी से समझाया जाता है। आज के समय में पढ़ाई काफी महंगी हो चुकी हैं, इसलिए जरुरत विद्यार्थियों को यहां पर आकर पढ़ना चाहिए। यहीं नहीं जिन चीजों की उन्हें आवश्यकता होती है, उसे भी यहा के टीचर्स द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। बच्चों को सिर्फ पढ़ने के लिए कहा जाता है।

छात्रा दीपांक्षी।

छात्रा दीपांक्षी।

मेरा सपना पायलट बनना है: दीपांक्षी

गांव फूसगढ़ की रहने वाली दीपांक्षी ने बताया कि यहां के टीचर्स द्वारा बहुत अच्छे से पढ़ाया जाता है, जो भी उनकी पढ़ाई संबधित जरुरतें होती है। उसे पूरा किया जाता है। संस्था द्वारा उन स्कूली बच्चों की फीस भी भरी जाती हैं, जिनके माता पिता स्कूलों में फीस जमा नहीं करवा सकते। उन्होंने कहा कि पढ़ाई काफी महंगी हो चुकी है, इसे देखते हुए संस्था उन जैसे जरुरतमंद बच्चों के लिए वरदान है। उनका सपना पढ़ लिखकर पायलट बनना है।

 

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छात्रा वंशिका।

छात्रा वंशिका।

यहां के टीचर्स हमारे डाउट को दूर करते है: वंशिका

करनाल की रहने वाली वंशिका कहना है कि मेरा सपना बड़ा होकर डॉक्टर बनना है और समाज सेवा के कामों में भागीदारी करनी हैं। जिस प्रकार से संस्था जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई के लिए हर संभव मदद कर रही हैं। इसी तरह से हम भी सेवा करेंगे। उन्होंने कहा कि इस समय शिक्षा काफी महंगी हो चुकी हैं, जो हर एक के बस की बात नहीं। जिन बच्चों को ट्यूशन की जरूरत होती है, उनके लिए ट्यूशन की व्यवस्था की जाती है। बच्चों के जो डाउटस होते है, उनके दूर किया जाता है। जो बच्चे ट्यूशन नहीं पढ़ सकते है, उनके लिए पूरी व्यवस्था पुकार एनजीओ द्वारा करवाई जाती है।

 

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