करनाल में मिला संदिग्ध मंकीपॉक्स का मरीज: स्वास्थ्य विभाग में मचा हंडकप, अस्पताल में युवक को किया आइसोलेट, सैंपल भेजा पुणे

 

हरियाणा के जिले करनाल में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मरीज मिलने पर स्वास्थ्य विभाग में हडकंप मच गया। वहीं स्वास्थ्य विभाग की तरफ से युवक का सैंपल पुणे भेज दिया गया है। बुधवार को जब मरीज सिविल अस्पताल में इलाज कराने के लिए आया था, तो लक्षण मिलने पर इलाज करने वाले डॉक्टर ने मामले की सूचना CMO और सर्विलांस अधिकारी को दी। इसके बाद युवक का नमूना जांच के लिए पुणे भेज दिया है।

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गांव सिरसी का रहने वाला है युवक

मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को गांव सिरसी रहने वाले 26 वर्षीय वर्षिय युवक को मंकीपॉक्स के लक्षण पार जाने पर सिविल अस्पताल में आइसोलेट किया गया है मरीज के सैंपल पुणे भेजे गए हैं अगर मंकीपॉक्स नमूना पास होता है तो यह हरियाणा का पहला केस होगा। फिलहाल करनाल जिले में संदिग्ध यह पहला मरीज है। पिछले वर्ष भी कोरोना संक्रमण के साथ मंकीपॉक्स का खतरा हरियाणा में मनाया था।

कुंडली बॉर्डर की बताई जा रही ट्रेवल हिस्ट्री

मिली जानकारी के अनुसार युवक ट्रैवल हिस्ट्री कुंडली बॉर्डर हिसार और अमृतसर बताई जा रही है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सैंपल लेकर जांच को पुणे भेज दिया है। पुणे से रिपोर्ट आने के बाद ही मंकीपॉक्स की पुष्टि की जाएगी। फिलहाल युवक को आइसोलेट किया गया है।

बीमारी के लक्षण

​​​​​​​स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मंकीपॉक्स वायरस एक मानव चेचक के समान एक वायरल संक्रमण है। इसके लक्षण इस प्रकार है। बार-बार तेज बुखार आना, पीठ और मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर दाने पड़ना, खुजली की समस्या होना, शरीर में सामान्य रूप से सुस्ती आना, मंकीपॉक्स वायरस की शुरुआत चेहरे से होती है।, संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है, चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस होना, गला खराब होना और बार-बार खांसी आना आदी है।

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ऐसे फैलता है संक्रमण

CMO योगेश शर्मा ने बताया कि यह मंकीपॉक्स संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ऐसे में लोगों को शारीरिक संपर्क से बचाव रखना चाहिए।-संक्रमित व्यक्ति या किसी व्यक्ति में पंकीपाक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।-संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए।-मंकीपॉक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।-यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से भी हो सकता है।

मंकीपॉक्स का नहीं कोई ईलाज

CMO योगेश शर्मा ने बताया कि अब तक मंकीपॉक्स का कोई इलाज नहीं है। लेकिन चेचक का टीका मंकीपॉक्स को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है। मंकीपॉक्स को यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है। फिलहाल युवक को आइसोलेट किया गया है। डॉक्टरों की टीम युवक का इलाज कर रही है। युवक का सैंपल टेस्ट के लिए पुणे भेज दिया गया। रिपोर्ट आने के बाद ही करनाल में मंकीपॉक्स की पुष्टि की जा सकती है।

 

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