करनाल के DTP ने दी थी की चेतावनी: ”मेरा नाम सुनकर अवैध कॉलोनी काटने वाले कालोनाइजर भाग जाएंगे” दावा करने वाले DTP अब क्या जवाब देंगे?

हरियाणा के जिले करनाल में इसी साल 28 जून को जब DTP आरएस भाठ ने करनाल में ज्वाइन किया तो दावा किया था कि ”मेरा नाम सुनकर अवैध कालोनी काटने वाले कॉलोनाइजर भाग जाएंगे”। लेकिन उनका यह दावा सही साबित नहीं हो रहा है। करनाल में बजीदा रोड पर मंडी के पीछे जिस तरह से सरेआम अवैध कालोनी कट रही है, इससे DTP के दावों पर तो सवालिया निशान लग ही रहा है, सवाल यह भी पैदा हो रहा है कि यह लैंडमाफिया इतना बेखौफ कैसे हैं?

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इस रोड पर एक दो नहीं तीन जगह अवैध कालोनियां काटी जा रही है। सरेआम निर्माण कार्य चल रहा है। सड़क बन रही है। लेकिन DTP विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष वीरेंद्र राठौर ने बताया कि ऐसा लग रहा है कि करनाल में DTP के नाम की संस्था है ही नहीं। जिस वजह से जिम्मेदार अधिकारी करनाल के पूर्व DTP विक्रम सिंह की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। विक्रम सिंह पर करनाल के लैंड माफिया के साथ मिलीभगत के आरोप विजिलेंस ने लगाते हुए उसे गिरफ्तार भी किया था।

अवैध कॉलोनी में चलते सड़क निमार्ण का कार्य।

अवैध कॉलोनी में चलते सड़क निमार्ण का कार्य।

यूं लैंड माफिया की मदद करते है DTP विभाग के जिम्मेदार अधिकारी

जैसे ही कोई अवैध कालोनी कटती है, DTP विभाग की ओर से निर्माण ढहाने की कार्रवाई होती है। कुछ निर्माण की नींव उखाड़ दी जाती है। इसके बाद एक फाइल तैयार होती है। इसमें निर्माण ढहाने की पूरी प्रक्रिया दर्ज की जाती है। इससे होता यह है कि DTP विभाग व नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी अपने बचाव का रास्ता तलाश लेते हैं। जब भी उन पर सवाल उठता है तो वह इस फाइल को आगे कर अपने आप को पाक साफ करार दे देते हैं।

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लैंड माफिया को कानूनी शिकंजे से यूं बचाया जाता है

​​​​​​​इसी क्रम में DTP विभाग की ओर से एक शिकायत पुलिस को दी जाती है, इसमें लैंड माफिया के खिलाफ HDR एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया जाता है। इस केस में लैंड माफिया को थाने से जमानत मिल जाती है। करनाल में 20 साल में इस धारा में दर्ज केस में किसी भी लैंड माफिया को सजा नहीं हुई। इधर HDR एक्ट में मामला दर्ज होते ही अवैध कालोनी काटने वाले बैखौफ हो जाते हैं। उन्हें किसी तरह का कोई डर नहीं रहता।

अवैध कॉलोनी में कटे प्लाटों का दृश्य।

अवैध कॉलोनी में कटे प्लाटों का दृश्य।

सालों से चल रहा यह खेल

​​​​​​​यह खेल करनाल में 20 सालों से लगातार चल रहा है। क्योंकि अवैध कालोनी काटने वाले मोटा मुनाफा कमाते हैं। यदि कोई व्यक्ति लाइसेंस लेकर कॉलोनी काटता है तो उसे एक करोड़ से ज्यादा की रकम लाइसेंस, रेवेन्यू और कालोनी में सुविधा के नाम पर खर्च करनी पड़ती है। इसके बाद उसे खरीददार को तय मानकों के अनुरूप सड़क, पार्क, लाइट व अन्य सुविधा भी देनी होती है। अवैध कालोनी काटने वाले ऐसा कुछ भी खरीददार को नहीं देते। इसलिए वह भारी मुनाफा कमाते हैं। इस मुनाफे का कुछ हिस्सा DTP विभाग और तहसील को चला जाता है। यही वजह है कि सालों से यह खेल चल रहा है।

फिर कॉलोनी को कराया जाता है रेगुलर

​​​​​​​एक बार कालोनी से आधे या इससे अधिक प्लाट बिक जाए तो फिर DTP विभाग और निगम के जिम्मेदार अधिकारी इस तरह की कॉलोनी को रेगुलर कराने की प्रक्रिया में जुट जाते हैं। एक बार कॉलोनी रेगुलर हो गई कि लैंड माफिया वहां के बाकी प्लाट को बेच कर भारी मुनाफा कमा लेते हैं।

दूसरी बनी अवैध कॉलोनी का दृश्य।

दूसरी बनी अवैध कॉलोनी का दृश्य।

अवैध कालोनी विकसित न हो,इसके लिए निगम और तहसील है जिम्मेदार

​​​​​​​शहर में अवैध कालोनी विकसित न हो,इसके लिए DTP विभाग, निगम और तहसील जिम्मेदार है। कृषि योग्य जमीन में छोटे प्लाट की रजिस्ट्री नहीं हो सकती। इस तरह की रजिस्ट्री के लिए DTP विभाग की ओर से NOC चाहिए। लेकिन तहसील में छोटे प्लाट की रजिस्ट्री हो जाती है, इसके लिए DTP विभाग की NOC के नाम पर जमकर खेल होता है। दलाल तहसील में सक्रिय है, जो इस तरह के काम को अंजाम दिलवा देते हैं। DTP विक्रम सिंह के साथ करनाल के पूर्व तहसीलदार राजबक्श इसी तरह के खेल में शामिल थे। इस वजह से उनका नाम भी विक्रम सिंह के साथ आया। उसे भी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाना पड़ा था।

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क्या हो कि अवैध कालोनी विकसित न हो

DTP विभाग को चाहिए कि लैंड माफिया के खिलाफ HDR एक्ट की जगह, साजिश कर रकम ठगने, जमीन कब्जाने, हवाला व काला धन उगाहने जैसी संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज कराना चाहिए। अवैध कालोनी जहां जहां विकसित हो रही है, वहां वहां बोर्ड लगाए जाने चाहिए। जिससे आम आदमी को पता चले कि यहां जमीन खरीदना सही नहीं है।

तहसील में ठोस व कठोर पत्र लिखा जाना चाहिए, इसमें अवैध कॉलोनियों की लिस्ट दी जाए, तहसीलदार को यह हिदायत दी जानी चाहिए कि यदि यहां की रजिस्ट्री होती है तो वह सीधे जिम्मेदार होगा। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में मामला दर्ज किया जाए। इस तरह के प्रावधान यदि किए जाए तो ही शहर में अवैध कालोनियों पर रोक लग सकती है। अन्यथा अवैध कालोनियों को रोकने के नाम पर जम कर उगाही होती है, वह इसी तरह से जारी रहेगी।

अवैध कॉलोनी में कटते प्लाटों का दृश्य।

अवैध कॉलोनी में कटते प्लाटों का दृश्य।

वकील पर हमला हुआ, लेकिन अवैध कालोनी में काम नहीं थमा

​​​​​​​शुक्रवार की शाम को अवैध कालोनी में निर्माण के विवाद को लेकर वकील जेपी सिंह DTP के JE विक्रांत के साथ कॉलोनी में पहुंचें थे। जहां पर जेपी सिंह पर जानलेवा हमला किया गया, उस अवैध कालोनी में शनिवार को भी दिन भर निर्माण कार्य चलता रहा। घायल वकील जेपी सिंह ने बताया कि कॉलोनाइजर संजीव इस कॉलोनी को काट रहा है। इस रोड पर यह अकेली अवैध कालोनी नहीं है। कुछ दूर आगे मदन लाल नाम का एक लैंड माफिया भी अवैध कालोनी काट रहा है। इसका दावा है कि उसने कॉलोनी को रेगुलर कराने के कागज जमा करा रखे हैं। लेकिन जब इन कागजों को देखा तो पाया कि यह आवेदन नहीं एक प्रार्थना पत्र है। यहां पर प्रार्थना पत्रों को ही आवेदनों का रूप दे दिया जाता है। आखिर प्रशासन के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी कब समझेंगे।

 

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