अलर्ट, डब्ल्यूएचओ ने चेताया: कुंडली की कंपनी के 4 सिरप जानलेवा बताए, सरकार ने सैंपल जांच के लिए कोलकाता भेजे

 

रिपोर्ट में कहा; डायथेलेन ग्लाइकोल, इथिलेन ग्लाइकोल तय मात्रा से ज्यादा मिलाया, इससे बच्चों की मौत का खतरा

अलर्ट, डब्ल्यूएचओ ने चेताया: कुंडली की कंपनी के 4 सिरप जानलेवा बताए, सरकार ने सैंपल जांच के लिए कोलकाता भेजे

जांच शुरू; 1990 से दवा बना रही कंपनी में पहुंची केंद्र व राज्य की टीमें, सैंपल लेने के साथ रिकॉर्ड भी खंगाला

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोनीपत के कुंडली स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल लि. कंपनी में तैयार सर्दी-खांसी के 4 सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया है। इसमें कहा है कि ये सुरक्षित नहीं हैं। खासतौर से बच्चों में इनके इस्तेमाल से गंभीर समस्या या मौत का खतरा है।

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डब्ल्यूएचओ ने कहा कि गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत गुर्दों की हालत बेहद खराब हो जाने की वजह से हुई है। बहुत मुमकिन है कि इन सिरप के इस्तेमाल के चलते ही मौत हुई हो। ये प्रोडक्ट अभी सिर्फ गाम्बिया में पाए गए हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि सिरप में डायथेलेन ग्लाइकोल व इथिलेन ग्लाइकोल की मात्रा तय मानक से ज्यादा मिली है, जो इंसानों के लिए जानलेवा हो सकते हैं।

डब्ल्यूएचओ ने 29 सितंबर को ही इस बारे में सूचित कर दिया था। इस पर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और प्रदेश के खाद्य एंड औषधि प्रशासन विभाग ने जांच शुरू कर दी है। भारतीय औषधि महानियंत्रक व हरियाणा के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने गुरुवार को कंपनी में जाकर सिरप के सैंपल लिए। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि चारों सिरप के सैंपल जांच के लिए कोलकाता स्थित केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) भेजे गए हैं।

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कंपनी में हफ्तेभर से काम बंद, गेट पर अंडर रेनोवेशन का बोर्ड

कुंडली के फेज-1 स्थित मेडेन कंपनी 1990 से दवा बना रही है। 120-130 कर्मचारी काम करते हैं। अब हफ्तेभर से काम बंद है। गुरुवार को कुछ कर्मचारी पहुंचे तो वापस लौटा दिए। उन्हें कहा गया कि जांच टीम आई है। ऑटो में एक व्यक्ति दवा के रैपर लेकर पहुंचा तो उसे भी लौटा दिया। इसके बाद कंपनी के गेट पर प्लांट अंडर रेनोवेशन का बोर्ड लगा दिया गया। कंपनी की एक यूनिट हिमाचल के बद्दी में भी है। वहां भी टीमों ने जांच की और सैंपल भरे हैं।

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असुरक्षित कैसे? स्वाद बढ़ाने के कंपाउंड ज्यादा होने पर जानलेवा

  • चिकित्सीय विशेषज्ञों का कहना है कि डायथेलेन ग्लाइकोल व इथिलेन ग्लाइकोल कार्बन कंपाउंड है। इसमें न खुशबू होती है और न कलर। ये मीठा होता है। बच्चों के सिरप में सिर्फ इसलिए मिलाया जाता है, ताकि बच्चे आसानी से पी सकें।
  • दवाओं में ये कंपाउंड अधिकतम 0.14 मिलीग्राम प्रति किलो तक मिलाया जा सकता है। 1 ग्राम प्रति किलो से ज्यादा मिलाने पर मौत का कारण बन सकता है। अभी यह खुलासा नहीं किया गया है कि इन सिरप में कंपाउंड की कितनी मात्रा थी।

असर क्या? गंभीर मरीज को बचा भी लें तो किडनी की समस्या तो रहेगी

  • पहला फेज: पहले दो दिन में उल्टी-दस्त, पेट में दर्द। दिमाग सुन्न पड़ने लगता है।
  • दूसरा फेज: तीसरे-चौथे दिन किडनी फेल हो जाती है। यूरिन पास नहीं होता। ब्लड प्रेशर बढ़ता है। हृदय गति अनियमित हो जाती है।
  • तीसरा फेज: 5वें से 10वें दिन तक व्यक्ति पैरालिसिस हो सकता है। डीप कोमा में जा सकता है। मौत हो सकती है। मरीज को बचा भी लिया तो किडनी की समस्या रहती है।

अधिकारी का दावा- बैच की दवा सिर्फ गाम्बिया गई, कर्मचारी बोला- कंपनी में एक सप्ताह में करीब 20 लाख सिरप बनते हैं

विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मामला होने के कारण गहन जांच की जा रही है। गाम्बिया में खरीदार की ओर से डिमांड करने पर दवा भेजी गई थी। इसलिए इस बैच की दवा और कहीं सप्लाई नहीं हुई है।

वहीं, कंपनी के कर्मचारी राजाराम ने बताया, ‘मैं शुरू से कंपनी में काम कर रहा हूं। 3 दिन पहले भी जांच टीम आई थी। दवा बनने का प्रोसेस चेक किया। कितने सिरप बनते हैं, इसकी जानकारी जुटाई थी। मेरा काम कंपनी में टेबलेट पर रंग चढ़ाने का है। ग्राउंड फ्लोर पर एंटीबायोटिक, बुखार व गैस की टेबलेट बनती हैं।

फर्स्ट फ्लोर पर सिरप बनते हैं। एक सप्ताह में करीब 20 लाख सिरप बनते हैं। ज्यादातर दवाओं की सप्लाई विदेशों में होती थी। गाम्बिया के अलावा अफगानिस्तान, नाइजीरिया में भी दवाएं जाती हैं। एंटीबायोटिक टेबलेट, गैस में असरदार ओमेप्राजोल की देश में भी सप्लाई होती थी। सरकारी सप्लाई भी हो सकती है।

रिपोर्ट आने पर आगे कार्रवाई होगी

यह दवा देश में बिक्री के लिए नहीं है। सीडीएल की रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद यदि कुछ गलत हुआ होगा तो बहुत ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-अनिल विज, स्वास्थ्य मंत्री, हरियाणा

केंद्र सरकार मामले को देख रही

मामला संज्ञान में आया है। मामला अंतरराष्ट्रीय होने की वजह से केंद्र सरकार इसे देख रही है। अभी तक यह जानकारी नहीं आई है कि क्या वास्तव में बच्चों की मौत इस दवा से हुई है।
-मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा

 

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