‘अपनी जिम्मेदारी पर लाएं डिफेंस विटनेस’: 15 लाख रिश्वत की आरोपी जज के वकील को CBI कोर्ट के आदेश; 14 साल पुराना केस

15 लाख रुपए रिश्वतकांड में आरोपी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जज, जस्टिस(रि) निर्मल यादव के वकील को CBI कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि अपनी खुद की जिम्मेदारी पर डिफेंस विटनेस को लेकर आए। केस की ताजा सुनवाई पर चंडीगढ़ जिला अदालत की CBI कोर्ट के स्पेशल जज, जगजीत सिंह ने कहा कि कोर्ट द्वारा अवसर दिए जाने के बावजूद आरोपी जस्टिस यादव का वकील कोई भी डिफेंस विटनेस का बयान दर्ज नहीं करवा सका।

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आरोपी जस्टिस निर्मल यादव के वकील को आदेश दिए गए हैं कि तय तारीख पर अपनी जिम्मेदारी पर डिफेंस विटनेस को लेकर आए। वहीं कोर्ट के जरिए भी गवाहों को समन जारी करने के आदेश दिए गए हैं। बता दें कि 14 साल पुराने केस में CBI जज जगजीत सिंह अपने ऑर्डर में कह चुके हैं कि यह मामला 10 साल से पुराने केसों की श्रेणी में आता है। ऐसे में हाईकोर्ट के आदेशों के तहत केस को इसी वर्ष दिसंबर तक डिसाइड किया जाना है।

डिफेंस गवाहों के बयान दर्ज करवाने के प्रयास नहीं दिखा रहा
केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस यादव के वकील ने अब 2 दिन का समय कोर्ट से मांगा ताकि सबूत पेश कर सकें। वहीं एक अन्य डिफेंस विटनेस को समन किए जाने की मांग को लेकर अर्जी दायर की। CBI जज जगजीत सिंह ने कहा कि कई बार केस की सुनवाई स्थगित करवाए जाने के बावजूद काउंसिल द्वारा इन गवाहों को समन करवाने और एग्जामिनेशन करवाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं दिखाया गया है।

जल्द डिफेंस विटनेस की गवाहियां दर्ज करवाएं
कोर्ट ने कहा कि दो गवाहों, विटनेस 2(ए) और 2(बी) को समन जारी किए गए थे जिनका नाम जस्टिस यादव की अर्जी में था। यह समन न सर्व के रूप में और न ही अन्य रूप में वापस प्राप्त नहीं हुए हैं। ऐसे में कोर्ट ने कहा कि डिफेंस काउंसिल को सभी प्रयास कर जल्द डिफेंस विटनेस की गवाहियां करवाने की जरूरत है। इसके लिए डिफेंस काउंसिल द्वारा मांगे 2 दिन के समय की मांग को मंजूर करते हुए कोर्ट ने न्याय हित में 5 दिसंबर की तारीख के लिए सुनवाई स्थगित की।

गवाह ने जनवरी में गवाही की मांग की
वहीं सुनवाई के दौरान एक डिफेंस विटनेस ईश्वर पाल कौर को केस की अगली सुनवाई पर पेश होने के आदेश दिए गए हैं। ईश्वर पाल कौर नामक गवाह का 2 दिसंबर को आधा क्रॉस एग्जामिनेशन हो सका था। उसका क्रॉस अगली सुनवाई के लिए टाल दिया गया। उसने कोर्ट को कहा कि उसका बाकी क्रॉस एग्जामिनेशन 5 जनवरी, 2023 को करवा लिया जाए। इसके पीछे वजह बताई कि उसकी 3 दिसंबर को PGI में अप्वॉइंटमेंट है। उसने सुनवाई टालने के लिए अर्जी भी कोर्ट में पेश की। हालांकि कोर्ट ने उसे 5 दिसंबर को पेश होने को कहा है। वहीं केस में डिफेंस विटनेस के रूप में विक्रम राणा की गवाही भी दर्ज करवाई गई थी।

बयान दर्ज करवाने में भी देरी की
इससे पहले आरोपी जस्टिस निर्मल यादव की ओर से आरोपी के रूप में CrPC 313 के तहत बयान दर्ज करवाने में भी देरी की गई थी। मामले में कोर्ट से तारीख मांगी जाती रही। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव की ट्रायल पर रोक लगाने की अर्जी को रद करते हुए ट्रायल में देरी पैदा करने के लिए उन्हें फटकार लगाई थी।

इनके खिलाफ चल रहा है मुकद्दमा
आरोपियों में जस्टिस यादव समेत दिल्ली का बिजनेसमैन रविंदर सिंह भसीन, पंचकूला निवासी बिजनेसमैन राजीव गुप्ता व निर्मल सिंह शामिल है। एक आरोपी हरियाणा के पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल की मौत हो चुकी है।

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अगले दिन पहुंचाई गई थी रिश्वत की रकम : CBI
14 साल पहले 13 अगस्त, 2008 को यह मामला सामने आया था। जब 15 लाख रुपए रिश्वत गलती से हाईकोर्ट की अन्य जज के घर पहुंच गई थी। CBI का दावा है कि रिश्वतकांड के खुलासे के बाद अगले दिन 14 अगस्त को जस्टिस यादव के घर रिश्वत के 15 लाख पहुंचाए गए थे। रिटायर्ड जज निर्मल यादव पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 11 और बाकी 3 आरोपियों पर IPC की विभिन्न धाराओं समेत आपराधिक साजिश रचने की धारा के तहत केस चल रहा है।

प्लाट केस में ‘एकतरफा फैसला’ देने का आरोप
CBI केस के मुताबिक पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट की जज रहते हुए जस्टिस (रि.) निर्मल यादव ने वर्ष 2007 के एक केस (RSA) का रविंदर सिंह भसीन के प्रभाव में आते हुए 11 मार्च, 2008 को फैसला दिया था। भसीन की निर्मल यादव और संजीव बंसल के साथ नजदीकी थी। उसकी सेक्टर-16, पंचकूला के एक प्लॉट नंबर 601 में दिलचस्पी थी। उसी प्लाट से जुड़े केस में जस्टिस यादव ने फैसला दिया था।

संजीव बंसल ने अपने खाते से 2 करोड़ का चैक मामले में अन्य आरोपी राजीव गुप्ता के नाम जारी किया था। इसमें से 1.5 करोड़ विनोद तयाल को दिए गए थे। यह रकम संजीव बंसल और राजीव गुप्ता द्वारा हिसार में खरीदी एक प्रॉपर्टी के रूप में दिए थे। वहीं, बाकी 20 लाख रुपए मई, 2007 में दिए गए थे।

बंसल ने सीनियर काउंसिल को ‘सुपरसीड’ किया था
जून, 2007 में 15 लाख रुपए प्लाट मालिक आनंद जैन को दिए गए थे। राजीव गुप्ता ने आनंद जैन से पंचकूला का प्लाट 60 लाख रुपए में खरीदा था। इसके लिए संजीव बंसल ने अपने खाते से रकम निकलवाई थी। संजीव बंसल की उस प्लाट में निजी दिलचस्पी थी। वहीं, संजीव बंसल इस केस की सुनवाई के दौरान सीनियर काउंसिल अरुण जैन के होने के बावजूद उन्हें ‘सुपरसीड’ करते हुए पेश हुए थे।

रिश्वतकांड के खुलासे के बाद भी जज ने पैसे मांगे
CBI ने यह भी दावा किया कि 13 अगस्त को जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से 15 लाख पहुंचने के बाद जस्टिस निर्मल यादव ने फिर से 15 लाख रुपए रविंदर सिंह से मांगे थे। इसके बाद 14 अगस्त को सुबह संजीव बंसल के नजदीकी राजीव गुप्ता ने 15 लाख रुपए जस्टिस निर्मल यादव को पहुंचाए थे। जस्टिस यादव ने यह 15 लाख रुपए वर्ष 2007 के केस में सुनाए फैसले के रूप में मांगे थे। इस प्लॉट में संजीव बंसल ने हित दिखाया था।

वहीं, CBI का कहना था कि संजीव बंसल ने जस्टिस यादव के लिए एक विदेशी हवाई यात्रा के लिए टिकट का भी प्रबंध किया था। वहीं, रविंदर सिंह भसीन द्वारा जस्टिस यादव को मैट्रिक्स मोबाइल फोन कार्ड दिया था। इसे जस्टिस यादव ने अपनी यात्रा के दौरान इस्तेमाल किया था।

आरोपियों की कॉल डिटेल्स भी सौंपी थी
CBI ने जस्टिस यादव, संजीव बंसल, राजीव गुप्ता और रविंदर सिंह भसीन के बीच नजदीकी को साबित करने के लिए इनकी कॉल डिटेल्स को भी पेश किया था। यह कॉल डिटेल्स कथित रूप से रिश्वत की लेनदेन के समय की थी। वहीं, CBI चार्जशीट के मुताबिक रविंदर सिंह भसीन ने जस्टिस निर्मल यादव के साथ मिल सोलन (हिमाचल प्रदेश) में जमीन भी खरीदी थी। इस जमीन की खरीद को लेकर हिमाचल प्रदेश सरकार से जांच भी करवाई गई थी।

गलत जज के घर ले आया था रिश्वत
हाईकोर्ट की जज रहीं जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से रिश्वत के 15 लाख रुपए पहुंच गए थे। CBI केस के मुताबिक, यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी। जस्टिस निर्मलजीत कौर के पिअन अमरीक सिंह ने 13 अगस्त 2008 को हुए इस प्रकरण की शिकायत दी थी। संजीव बंसल का मुंशी प्रकाश राम नामक व्यक्ति उनके घर प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचा था। उसने पिअन अमरीक सिंह को कहा था कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं, जो डिलीवर करने हैं। हालांकि बैग में मोटी रकम थी। केस की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ CBI को केस की जांच सौंपी गई थी।

2011 में CBI ने दायर की थी चार्जशीट
CBI ने जांच के बाद कहा कि जस्टिस निर्मल यादव समेत अन्यों पर आपराधिक केस बनता है। जस्टिस निर्मल यादव के खिलाफ मार्च 2011 में जब CBI ने चार्जशीट दायर की थी तो वह उत्तराखंड हाईकोर्ट की जज थीं। रिश्वतकांड के बाद वर्ष 2009 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से उनका ट्रांसफर हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव की ट्रायल पर रोक लगाने की अर्जी को रद करते हुए ट्रायल में देरी पैदा करने के लिए उन्हें फटकार लगाई थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने उनकी यह मांग रद कर दी थी। जनवरी 2014 में आरोपियों के खिलाफ CBI कोर्ट ने आरोप तय किए थे। ट्रायल के दौरान संजीव बंसल की मौत हो गई थी।

 

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