महामृत्युंजय मठ कनखल के सस्ंथापक महामंडलेश्वर जमनापुरी जी ने किया शिविर का उद्घाटन
धर्म के बिना राजनीति अधूरी : महामंडलेश्वर जमनापुरी जी महाराज
एस• के• मित्तल
हरिद्वार, धर्म सत्ता का सार है, इसलिए धर्म के बिना राजनीति संभव नहीं है। ये उद्गार आज स्थानीय निष्काम सेवा ट्रस्ट में अग्रवाल वैश्य समाज हरियाणा द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षिण शिविर के उद्घाटन पश्चात हरियाणा भर से पहुंचे वैश्यजनों को संबोधित करते हुए महामृत्युंजय मठ कनखल के संस्थापक तरूण तपस्वी शिवयोगी महामंडलेश्वर जमनापुरी जी महाराज ने उचारित किए।
पशुधन किसान क्रैडिट कार्ड योजना आय बढ़ाने में लाभकारी : उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार
इससे पूर्व महामंडलेश्वर ने महाराजा अग्रसेन जी एवं कुलदेवी लक्ष्मी जी के सक्षम दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण के साथ शिविर का उद्घाटन किया। उद्घाटन पश्चात जमनापुरी जी ने कहा कि राम के बिना राजनीति अधूरी है। वैश्य समाज को भी अगर राजनीति के शिखर पर पहुंचना है तो तो संग्राम में तो उतरना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि संग्राम का अर्थ भी संग में राम है तो राम को तो संग में लेना ही पड़ेगा। राजनीति में राम होंगे तभी हम राम राज्य की कल्पना साकार कर सकते हैं। प्रभु श्री राम को भी राज्य चलाने के लिए सर्वप्रथम अपने गुरू वशिष्ठ जी से दीक्षा लेनी पड़ी थी और आज हमें भी प्रभु श्री राम से ही सीख कर राजनीति को आगे बढ़ाना है। महामंडलेश्वर जमनापुरी जी ने कहा कि आज अकेले हरिद्वार में 4623 आश्रम व धर्मशालाएं है जिसमें 90 प्रतिशत का निर्माण वैश्य समाज ने किया है।
गुरु तेग बहादुर 400वां प्रकाश पर्व मनाना मनोहर सरकार का सराहनीय कदम: बचन सिंह आर्य
इसी प्रकार 600 के लगभग अन्नक्षेत्र है इनमें भी 70 प्रतिशत का संचालन वैश्य समाज द्वारा ही किया जा रहा है। वर्ण व्यवस्था का उदाहरण देते हुए जमनापुरी जी ने कहा कि सनातन परम्परा चार वर्णों पर आधारित है। जिनमें ब्रह्मा जी मुख से जन्में को ब्राह्मण, बाजुओं से क्षत्रिय, पेट से वैश्य तथा पांव से शुद्र सम्मिलित है। इस व्यवस्था को जोड़ कर देखे तो पेट के बिना बाकी व्यवस्थाएं अधुरी है। सारी व्यवस्थाएं पेट यानी वैश्य से जुड़ी हुई है। और इसके बिना समाज अधुरा है। वैश्य समाज इन सभी व्यवस्थाओं के भोजन की पूर्ति है इसलिए कहा गया है जो सबको सुख बांटे वो वैश्य है। इसके पश्चात जमनापुरी ने आश्चर्य और दु:ख प्रकट करते हुए कहा कि देश में आरक्षण के नाम पर राजनीति बंद होनी चाहिए। वैश्य समाज अन्य क्षेत्रों की भांति शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे है उसके बावजूद सरकारी नौकरियों में वैश्य समाज कही नहीं है। भगवान विष्णु के 24वे अवतार श्रीकृष्ण का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण की परवरिश भी वैश्य परिवार में हुई थी। उनकी परवरिश करने वाले नंद बाबा भी वैश्य समुदाय से थे तो इसलिए वैश्य समाज को समझना चाहिए की वो राजनीति के अगुवा है, इसके पिछड़ें नहीं। महामंडलेश्वर ने कहा कि वैश्य समाज को राजनीति से उदासीन होने की जरूरत नहीं है। उदासीनता एक विकृति है। मौके पर उपस्थित युवाओं का राजनीति पहला पाठ पढ़ाते हुए जमनापुरी जी ने कहा कि युवा वर्ग अभी से एक-दुसरे का हाथ थामकर उसे अपने साथ खींचना सीखे न कि उसे धक्का देकर पीछे गिरना क्योंकि सबको साथ लेकर चलना ही राजनीति का मूल मंत्र है। कार्यक्रम में अग्रवाल वैश्य समाज हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने अपना संबोधन देते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश के वैश्य समाज के लिए ये गौरव का पूर्ण है कि तरूण तपस्वी महामंडलेश्वर जमनापुरी जी का आशीर्वाद आज उन्हें मिला है। अग्रवाल वैश्य समाज अपने गठन से ही वैश्य समाज को राजनीति में भागीदारी करने के लिए जागरूक कर रहा है लेकिन आज जो आशीर्वचन व मार्गदर्शन महामंडलेश्वर जी ने दिया है, निश्चित तौर उसका लाभ भविष्य में समाज को मिलने वाला है।
प्रदेश अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला के साथ संगठन के उपाध्यक्ष पवन अग्रवाल अम्बाला, वेदप्रकाश जैन गोहाना, मीडिया कॉर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन हरिओम मित्तल भाली ने मंच संचालन करते हुए कहा कि राजनीति से उदासीनता ने अग्रवाल वैश्य समाज का बड़ा नुकसान किया है। समाज को इसे दूर कर राजनीति में सिफारिश से नही समक्ष आकर भाग लेना होगा । इसके अलावा युवा एवं छात्र इकाई के प्रभारी विकास गर्ग ने भी अपना संबोधन दिया।
इस अवसर पर वरिष्ठ उपमहामंत्री अमरनाथ गुप्ता, प्रदेश मंत्री मुकेश बंसल, प्रवक्ता सुमित गर्ग हिंदूस्तानी, युवा प्रदेश अध्यक्ष नवदीप बंसल, युवा प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं शिविर संचालक हिमांशु गोयल, छात्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष दीपांशु बंसल, प्रेमचंद गर्ग रोहतक, बलराम गुप्ता दादरी, प्रवीण गर्ग फरीदाबाद, रमेश अग्रवाल बल्लभगढ़, अशोक गर्ग कुरूक्षेत्र, युवा महामंत्री वेदप्रकाश गर्ग, रवि गर्ग बधवानिया, छात्र इकाई के प्रदेश महामंत्री आकाश चाचाण, गौरव गोयल सहित हरियाणा प्रदेश के अनेक वैश्यजन उपस्थित रहें।