महाभारतकालीन ऐतिहासिक नगरी पहुंचे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती श्रद्धालुओं और गण्यमान्य लोगों ने चरण पादुका पूजन करके जोरदार अभिनंदन

सुसज्जित रथ विराजमान करके शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती को ले जाया गया सभा स्थल
प्रदेश के 24 जिलों में होगी भगवान श्रभ्ीहरि के 24 अवतार स्वरूपों की प्राण प्रतिष्ठा: स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती
कहा: हरियाणा प्रदेश के नाम में जुड़ा है श्री हरि का नाम

एस• के• मित्तल   
सफीदों,     ऐतिहासिक महाभारतकालीन नगरी सफीदों में शनिवार को पहली बार ज्योतिष्पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 श्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज का मंगल पर्दापण हुआ। शंकराचार्य सम्मान समिति के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल एवं नगर के गणमान्य लोगों ने नगर के जींद रोड़ पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज को रिसिव किया गया। उसके उपरांत वहां से उन्हे सुसज्जित रथ में विराजमान करके शोभायात्रा के रूप में धर्मसभा स्थल रामलीला मैदान में ले जाया गया।
कार्यक्रम स्थल पर आयोजक संस्था शंकराचार्य सम्मान समिति के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल व गणमान्य लोगों ने उनकी चरण पादुका पूजन करके उनका अभिनंदन किया। वहीं सफीदों विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुभाष गांगोली व हरियाणा गौसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण गर्ग ने भी उनका विशेष रूप से स्वागत किया। अपने संबोधन में ज्योतिष्पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 श्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि विश्व कल्याण के लिए वे हरियाणा मंगलम यात्रा पर निकले हैं। जब उन्होंने इस पीठ को संभाला तो उनके मन में विचार आया कि केवल मंगल की कामना करने भर से मंगल होने वाला नहीं है। इसके लिए हमें परिश्रम करने की जरूरत है। इसी उद्देश्य के साथ वे अपने मठ से बाहर निकले हैं। अपनी मंगलम यात्रा की शुरुआत उन्होंने हरियाणा प्रदेश से शुरू की है। इसका मुख्य कारण यह है कि हरियाणा प्रदेश के नामकरण में श्रीहरि का नाम जुड़ा हुआ है।
हरि शब्द का अर्थ है हरण करने वाला। भगवान श्री हरि लोगों की बुराइयां व संकटों का हरण करने वाले हैं। श्री हरि ने अपनी लीलाओं के माध्यम से तीनों लोकों के लोगों की पीड़ाओं और बुराईयों को चुराया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने किसी की धन व संपत्ति नहीं बल्कि लोगों के कष्टों को चुराया है। इसलिए हर मनुष्य को भक्ति मार्ग पर अग्रसर होकर अपने मन में श्री हरि को प्रकट करना होगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में अभी 24 जिले हैं और इन सभी जिलों में भगवान श्रीहरि के 24 अवतारों की प्राण प्रतिष्ठा करवाने का संकल्प उन्होंने लिया है। यह प्राण प्रतिष्ठा का प्रकल्प हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे भारत में अध्यात्म का एक मॉडल स्थापित करेगा। उन्होंने हरियाणा से इस प्रयोग को शुरू किया है और धीरे-धीरे इसको पूरे उत्तर भारत में बढ़ाने का काम किया जाएगा। हरियाणा के रोम-रोम को हरि में बनाने का उन्होंने एक संकल्प लिया है और इसकी शुरुआत सफीदों से हो चुकी है।
धर्मनगरी सफीदों में इस इतिहास की गवाह बन रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु का विशेष महत्व है क्योंकि गुरु मनुष्य को धर्म की शिक्षा प्रदान करते हैं। धर्म मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। धर्म के बिना मनुष्य अधूरा है। अगर धर्म नहीं होगा तो पशु और मनुष्य में कोई भेद नहीं रहेगा। गुरु हमें अच्छे और बुरे की शिक्षा प्रदान करते हैं और हमारा अच्छाई की तरफ मार्ग प्रशस्त करते हैं। शास्त्रों की भाषा परोक्ष है और देवताओं को भी यह परोक्ष भाषा अत्यंत प्रिय है। इस भाषा को साधारण मनुष्य समझने में असमर्थ रहता है इसलिए गुरु इस परोक्ष भाषा की बेहद साधारण शब्दों में व्याख्या करके अपने शिष्यों बताते हैं। इस आयोजन के संयोजक रामगोपाल अग्रवाल ने बताया कि रविवार 5 नवंबर को उनके निवास पर प्रात: 6 से 8 बजे तक शंकराचार्य महाराज इच्छुक श्रद्धालुओं को गुरू दीक्षा प्रदान करेंगे। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर गुरू दीक्षा प्राप्त करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!