कथा में प्रस्तुत झांकियों ने सभी का मन मोहा
सफीदों, एस• के• मित्तल : नगर के गीता कालोनी स्थित मंदिर में स्वामी परम मुक्तानंद महाराज भिक्षु: के सानिध्य में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा अमृत महोत्सव में शनिवार को श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री बांके बिहारी भगवत धाम, चित्रकूट से पधारे स्वामी विनोद कृष्ण महाराज ने कहा कि भक्ति, आराधना और ज्ञान का संगम श्रीमद् भागवत है। सांसारिक मोह, माया को त्याग कर परमात्मा का स्मरण करना ही वैराग्य होता है। जिसके जीवन में भक्ति नहीं होती उसका जीवन नीरस एवं सारहीन होता है। भगवान की कथा सुनने से भक्ति तृप्त होती है ज्ञान और वैराग्य हृदय में दृढ़ होते हैं और हमारे जीवन में भक्ति बढ़ती है तो भगवान के चरणों में अनुराग और प्रेम होता है। उन्होंने कहा कि गोवर्धन में श्री गिरीराज जी और चित्रकुट में कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इन दोनों स्थानों का इतना बड़ा महत्व है कि किसी भी मनोकामना को पूर्ण होने में ज्यादा समय नहीं लगता और लाखों की तादाद में लोग इन पवित्र स्थानों की परिक्रमा करके अपने जीवन को सफल बनाते हैं। कथा व्यास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा की शुरुआत, तब हुई थी जब उन्होंने इंद्रदेव के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण को सात दिनों तक भूखा रहना पड़ा था। इसके बाद, ब्रजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण को 56 तरह के भोग लगाए थे। उन्होंने श्रीमद्भागवत की कथा के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है। जिस प्रकार राजा परीक्षित ने श्रीमद् भागवत की कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे हीं श्रीमद्भागवत की कथा जीवों को अभय बना देती है।
श्रीमद् भागवत कथा पुराण में सभी ग्रंथों का सार है और यही एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें भगवान की सभी लीलाओं का वर्णन किया गया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीमन्न नारायण ने अनेक लीलाएं की है और अनेक अवतारों में मनुष्य को सामान्य रूप से जीने की शिक्षा दी है। हर व्यक्ति को चाहिए कि वह भगवान और भक्त की कथा का मनन करें और अपना जीवन भक्ति भाव में व्यतीत करें। जिसके जीवन में भक्ति आ जाएगी उसका जीवन संवर जाएगा। कथा के दौरान अनेक मनोहारी झांकियां प्रस्तुत की गई। जिनको देखकर श्रद्धालुओं का मन भक्ति भाव से परिपूर्ण हो गया।