टीबी उन्मूलन में करें सहयोग
बीमारियों से बचाव व इलाज के लिए आमजन को जागरूक करने के लिए बढ़ाई जाएं आईईसी गतिविधियां
जींद : टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा की अध्यक्षता में स्थानीय लघु सचिवालय के सभागार में टीबी और एचआईवी एड्स को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिले में टीबी के मरीजों के समुचित उपचार और देखभाल के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
बैठक में सीईओ जिला परिषद अनिल दून, डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. पालेराम कटारिया, डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. रमेश पांचाल सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। उपायुक्त ने कहा कि सरकार भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए विशेष प्रयास कर रही है, जिसमें प्रत्येक मरीज को सरकारी और निजी अस्पतालों में निशुल्क दवा, एचआईवी जांच, शुगर जांच एवं पोषण संबंधी सहायता दी जा रही है।
उपायुक्त ने दो टीबी पीड़ित बच्चों को लिया गोद
उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने इस अवसर पर मानवीय संवेदनाओं की मिसाल पेश करते हुए टीबी से पीड़ित दो जरूरतमंद बच्चों को गोद लेने की पहल की। उन्होंने कहा कि यह केवल एक सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने जिले के सभी अधिकारियों और सामाजिक संस्थाओं से अपील की कि वे भी अपनी क्षमता के अनुसार टीबी पीड़ितों को गोद लेकर उनकी मदद करें।
उन्होंने कहा, “टीबी केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है। यदि हम सभी मिलकर टीबी मरीजों की मदद करें और उन्हें आवश्यक उपचार, पोषण और भावनात्मक सहयोग प्रदान करें, तो इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है।”
आमजन को किया जागरूक रहने का आह्वान
उपायुक्त ने आमजन से अपील की कि यदि उनके आसपास कोई व्यक्ति लगातार खांस रहा है, कमजोर हो रहा है या टीबी के अन्य लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो उसकी सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग को दें। सरकार द्वारा चलाई जा रही निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के इलाज के दौरान प्रत्येक मरीज को ₹500 प्रति माह की आर्थिक सहायता भी दी जा रही है।
डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. पालेराम कटारिया ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों को पौष्टिक आहार के प्रति जागरूक किया जाएगा, ताकि एनीमिया जैसी बीमारियों से बचाव हो सके।
उन्होंने बताया कि टीबी (क्षय रोग) एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होती है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है और हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या जोर से बात करता है, तो उसके द्वारा छोड़े गए बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं।
टीबी के लक्षण और बचाव के उपाय
टीबी के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे प्रकट होते हैं और लंबे समय तक बने रह सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक खांसी, लगातार बुखार, रात में पसीना आना, भूख न लगना और तेजी से वजन घटने जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो उसे तुरंत टीबी की जांच करानी चाहिए। सरकार द्वारा इसके इलाज और बचाव के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि हर मरीज को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा और पोषण सहायता मिल सके।
टीबी उन्मूलन के लिए 100 दिन निक्षय शिविर योजना के अंतर्गत विशेष कदम उठाए गए हैं। सरकार द्वारा सीबीएनएएटी तकनीक के माध्यम से टीबी की मुफ्त जांच की जाती है, जिससे इस बीमारी की सटीक और त्वरित पहचान संभव होती है। सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों को निशुल्क दवा और समुचित इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, निक्षय पोषण योजना के तहत प्रत्येक पंजीकृत टीबी मरीज को ₹1000 प्रति माह की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, ताकि वे उचित पोषण प्राप्त कर सकें और जल्द स्वस्थ हो सकें।
टीबी एक संक्रामक रोग है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर इससे बचा जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति को खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को रूमाल या मास्क से ढंकना चाहिए और इधर-उधर नहीं थूकना चाहिए, क्योंकि इसके बैक्टीरिया हवा में फैलकर अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। मरीज को इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा दी गई पूरी दवा को निर्धारित समय तक लेना आवश्यक है, अन्यथा बीमारी और गंभीर रूप ले सकती है। संतुलित आहार और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली भी टीबी से बचाव में सहायक होती है।
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