ग्राम पंचों ने बीडीपीओ कार्यालय पर लगाए उनके मानदेय में गडबड़ी के आरोप

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एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए पंच
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दर्जनों पंचों ने एसडीएम को दी शिकायत

 सफीदों (एस• के• मित्तल) : सफीदों बीडीपीओ ब्लाक में ग्राम पंचायतों में बने पंचों ने उनके मानदेय में घोटाला होने के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों के चलते क्षेत्र के दर्जनों पंचों ने सोमवार को एक शिकायत एसडीएम पुलकित मल्हौत्रा को की है। यह शिकायत हरियाणा पंचायती राज एसोसिएयान के जिला उपाध्यक्ष रोहित मलिक की अध्यक्षता में की गई। शिकायत करने पहुंचे बलवान ऐंचरा, राजेश कुमार डिडवाड़ा, बलिंद्र कुमार, गौरव पाजू कलां, विक्रम, संदीप, रामनिवास सिंघाना, जसविंद्र सिंघाना, बबीता कारखाना, कुलदीप, सुरेश कुमार, सीमा, दिप्ती, अशोक साहनपुर, महावीर हाट समेत अनेक पंचों का कहना था कि सफीदों ब्लाक में 45 ग्राम पंचायतों के 461 पंच बने हुए हैं। प्रत्येक पंच को प्रतिमाह 1600 रुपए मानदेय सरकार की ओर से भेजा जाता है लेकिन सफीदों के बीडीपीओ कार्यालय के द्वारा पंचों का मानदेय समय पर उनके बैंक खातों में नहीं डाला जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जब भी कोई पंच बीडीपीओ कार्यालय में अधिकारियों से अपने मानदेय का हिसाब मांगने जाता है तो उसे कोई हिसाब नहीं दिया जाता। उनका कहना था कि किसी पंच का 11 महीने तो किसी पंच का 8 महीने का मानदेय बकाया है लेकिन बीडीपीओ कार्यालय द्वारा उन्हे मात्र 3 माह का ही मानदेय बकाया बताया जा रहा है। ऐसे में बीडीपीओ कार्यालय में पंचों के मानदेय में घोटाले की बू आ रही है। इसके अलावा उनका एरियर भी बकाया चल रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि उनका रुका हुआ मानदेय व एरियर तत्काल बहाल करवाया जाए। इसके साथ-साथ उन्हे ग्राम पंचायतों की बैठकों में भी बुलाया जाए। पंचों का ज्ञापन लेकर एसडीएम पुलकित मल्होत्रा ने बीडीपीओ को इस मामले में तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए।
पंचों को नहीं बुलाया जाता ग्राम सभा की बैठकों में
शिकायतकर्ता पंचों का कहना था कि गांव में होने वाली ऐजेंडा बैठकों में भी ग्राम पंचों को नहीं बुलाया जाता। आरोप है कि उनके फर्जी साइन करके ही एजेंडा पास कर दिया जाता है। अधिकतर पंचों को ये ही नहीं पता होता है कि उनके गांव में किसी विकास कार्य के लिए कितने रुपए पास किए गए हैं। पंचायत सदस्यों की लगातार अनदेखी की जा रही है। उन्हे ग्राम सभाओं की बैठकों में भी नहीं बुलाया जाता। ग्राम सभा की बैठक ओपन होनी चाहिए लेकिन ये बैठकें कागजों तक ही सीमित रह गई हैं।

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