ई-नेम प्रणाली के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे सफीदों के आढ़ती

209
Advertisement

 

 

एस• के • मित्तल   

सफीदों, ई-नेम प्रणाली के विरोध में सफीदों के आढ़ती सोमवार को नगर की नई अनाज मंडी में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए। हड़ताल की अध्यक्षता कच्चा आढ़ती संघ के प्रधान एडवोकेट कृष्ण गोपाल मित्तल ने की। अपने संबोधन में प्रधान कृष्ण गोपाल मित्तल ने कहा कि सफीदों मंडी का व्यापारी पूरी तरह से संगठित है तथा जब तक सरकार आढ़तियों की मांगों को नहीं मानती है तब तक वे हड़ताल ने नहीं उठेंगे।

HBSC ने 9-12वीं तक तैयार किया प्रश्न पत्र पैटर्न: बोर्ड अध्यक्ष डॉ. जगबीर सिंह ने दी जानकारी, वेबसाइट पर उपलब्ध

इसके अलावा जब तक कोई फैसला नहीं हो जाता तब तक कोई भी आढ़ती किसान का ना तो माल मंगवाएंगा तथा ना ही बेचेगा। उन्होंने सरकार के समक्ष मांग रखी कि किसानों की सभी फसलें जैसे सरसों, कपास, सूरजमुखी, धान व गेहूं के अलावा अन्य सभी फसलें सरकार द्वारा एमएसपी पर आढ़तियों के माध्यम से ही खरीदी जाए और आढ़त पूरी 2.5 प्रतिशत मिलनी चाहिए। पिछले वर्ष से ही एमएसपी का भुगतान सीधे किसानों को दिया जाने लगा है इससे आढ़तियों के साथ-साथ किसानों में बहुत रोष है। सरकार को चाहिए कि सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली सभी फसलों का भुगतान किसान की इच्छा अनुसार आढ़ती या किसान के स्वयं के खाते में अदा किया जाना चाहिए।अभी कुछ दिन हुए मार्किटिंग बोर्ड ने ई-नेम लागू करने के लिए आदेश जारी किया है। यह प्रणाली प्राईवेट खरीद-फिरोख्त पर लागू नहीं होनी चाहिए। यह प्रणाली ई-ट्रेडिंग फिनिशड गुड्स पर लागू हो सकती है।

आक्रोश: पुलिस की दमनकारी नीतियों की निंदा, रेल शहीदकर्मियाें को दी श्रद्धांजलि

 

जबकि मंडियों में आने वाली फसलें एक तरह से कच्चा माल है। उन्होंने कहा कि सीमांत किसानों को ई खरीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड करने के बाद भी सरकार ने उनकी फसलें नहीं खरीदी है जबकि यह सभी सीमांत किसान बहुत वर्षों से हरियाणा की मंडियों से ही जुड़े हुए हैं। इस धान सीजन में सरकार के द्वारा उनका धान नहीं खरीदने के कारण किसानों और आढ़तियों को बहुत नुकसान हुआ है, जिससे आढ़तियों व किसानों में भारी रोष है। सरकार को चाहिए कि आगामी सीजन में सभी सीमांत किसानों की फसलों की खरीद जरूर करें। उन्होंने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक एवं आधुनिक माहौल में हरियाणा में मार्किटिंग बोर्ड द्वारा मंडियों के लिए बनाए गए नियम बहुत ही पुराने व अव्यवहारिक हो गए हैं। समय के अनुसार अब उन नियमों में भारी बदलाव की आवश्यकता है। पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी मंडी बोर्ड के नियमों में आवश्यक बदलाव किए जाएं।

Advertisement